…चो ..द. धी ..रे .. अपनी ..बहन .. को इतनी ..बे ..द अ .र .दी से .. ना ..चो …द …में ..री…फ ..ट…जा ..आ ..इ ...गी … मैंने भी दीदी को गालियाँ निकालना शुरू किया ..साली …. बुरमरानी…अपनी बूर तो पहले ही बैगन से फा ..ड़..चुकी है और ..भाई का लंड लेते हुए नखड़ा करती है ..रंडी ..आज तो मै तेरी बूर का कचूमर निकालकर ही दम लूंगा आ .आ …गालियाँ सुनकर दीदी काफी उत्तेजित होगयी और मेरी पीठ को अपने बांहों के घेरे में कस लिया और नीचे से चुतर उठा उठा कर मेरे करारे धक्को के साथ समन्वय बिठाने लगी फिर उनका शरीर अकड़ने लगा और वो झड गयी लेकिन मै अभी झडा नहीं था , झड़ता भी कैसे अभी थोड़ी देर पहले तो मैंने अपना पूरा माल उनकी चूत में निकाला था
इसलिए उसी रफ़्तार में उन्हें चोदता रहा |दीदी के झड़ने के कारण उनकी बूर काफी गीली हो गयी थी इसलिए मेरा लंड बिना किसी अवरोध के बुर के आख़िरी हिस्से तक चला जा रहा था और तब सुपाडे पर जो दबाब बन रहा था वो आनंद की चरम सीमा थी | कुछ ही देर में दीदी फिर गरम होकर अपना चुतर उछालने लगी थी और थोड़े पलों में ही फिर उनका शरीर अकड़ने लगा , मुझे लगा जैसे वो फिर झड रही है | चूँकि मै भी झड़ने को बेताब था इसलिए मै लगातार धकाधक पेले जा रहा था और वो लगातार अस्फुट शब्दों में बडबडबडाये जा रही थी ,उनकी आंखे बंद थी और मै उनके होंटो और गालों को चुसे जा रहा था ,वो थोड़ी देर मेरा साथ देती और फिर शांत हो जाती | फिर मेरा शरीर भी तनने लगा और मै झड़ने लगा ,मैंने अनुमान लगाया की मेरे झाड़ते –झाड़ते दीदी कम से कम 6/7 बार आ चुकी थी | फिर मै उनके शरीर से उतारकर चित्त लेटकर गहरी साँसे लेने लगा और दीदी अपने सूखे होंटो पर जीभ फेर रही थी फिर वो बिस्तर से उठी तो मैंने पूछा क्या हुआ ? वो बोली – पानी पीने जा रही हूँ | वो पानी पीकर कब लौटी मुझे पता नहीं चला क्योंकि मैं सो चुका था |
मेरी नींद खुली तो मैंने अपने लंड पर दबाब महसूस किया | सुबह के 4:30 बज रहे थे और दीदी मेरे ऊपर चढ़कर मेरे लंड पर उछल -उछलकर मुझे चोद रही थी | मैंने दोनों हाथ बढ़ाकर उनकी ऊपर नीचे होती गदराई चूंचियों को अपनी हथेली में भरकर मसलना शुरू कर दिया , बड़ा मजा आ रहा था , मुझे पहली बार महसूस हुआ की नीचे लेटने का आनंद क्या है | फिर दीदी थक कर , चोदना बंद करके आगे झुक कर अपनी चुचकों को बरी -बारी से मेरे मुंह में देने लगी जिसे मै चुभलाने लगा और अपने कार्यमुक्त हाथों को दीदी के चूतरों पर जमाकर उँगलियों से उनके गांड के छेद को कुरेदना शुरू कर दिया और नीचे से अपने कमर को उठा -उठा कर दीदी को चोदना चालु कर दिया | बीच -बीच में अपनी एक ऊँगली दीदी के गांड के छेद में पेल देता तो वो चिहुंक कर सिसक उठती … बड़ा मजा आ रहा था कि तभी बाहर से आवाज आयी - रागनी !! सुबह होने वाली है , खेतों में नही जाना है क्या , सारी रात भाई से चुदाते ही रहेगी क्या ??( औरतों का हुजूम खेतों में टट्टी के लिए उजाला फैलने से पहले जा रहा था ) मै घबराया कि इनलोगों को कैसे पता चला कि दीदी मेरे से चुद रही है , फिर ध्यान आया कि वो लोग भाभियाँ है और दीदी को मजाक में गालियाँ देने के लिए एसा बोल रही है | दीदी भी आवाज सुनते ही झट से कूदकर मेरे ऊपर से उतर गयी | मेरा लंड फ ..क .. कि आवाज के साथ दीदी के बुर से निकला और स्प्रिंग कि तरह उछलकर खडा होकर हवा में लहराने लगा | दीदी बिस्तर के बगल में खड़ी होकर अपना कपड़ा ठीक करने लगी और मुझे लंड ढकने का इशारा करने लगी | बड़ी मुश्किल से अपने खड़े लंड को दबाकर अपने पैंट में ठुंसा तब दीदी दरवाजा खोलकर उन औरतों के साथ बाहर चली गयी |
अगले दिन दहेज़ के सामानों की नुमाइश शुरू हुई फिर सम्बन्धियों के कपडे की बारी आयी तो मेरे हिस्से में धोती और कुरते का कपड़ा आया | दीदी , मामी और भाभियाँ हंसने लगी और बोली कुरता तो सिलके तैयार होगा , धोती अभी पहनो | उनके काफी जिद करने पर मैंने धोती लुंगी की तरह लपेट लिया ,फिर मैंने महसूस किया की धोती में काफी आराम रहता है इसलिए मैंने फैसला किया की रात को अब धोती ही पहनकर सोऊँगा | अगली रात भी दीदी मेरे साथ ही सोयी और मैंने उस रात उनको चार बार चोदा |तीसरे दिन से मेहमान सारे जाने लगे और मैं दुखी होने लगा की आज शायद मुझे मौक़ा न मिले | दीदी सचमुच उस रात मेरे साथ नहीं सोयी लेकिन मैंने दरवाजा अन्दर से बंद नहीं किया था , वो देर रात को आयी और बोली – राजन ! जल्दी से चोद ले भाई !! मेरा पेट दुःख रहा है , मेरा मासिक कभी भी आ सकता है | उसके बाद मैंने तूफानी गति से दीदी को पेलना शुरू किया फिर भी मेरे पलते -पलते ही उनका मासिक शुरू हो गया ,जब झड़कर मैंने अपना लंड निकाला तो उसपर खून की बुँदे चमक रही थी |अगले दिन सारे मेहमानों के चले जाने के बाद मैंने भी जाना चाह तो मामी ने दो चार दिन और रोक लिया | दीदी भी मेरे जाने के बारे में सुनकर उदास हो गयी | तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया आया की जीजाजी तो है नहीं , इसलिए दीदी को ससुराल जाने की कोई जल्दी तो नहीं है ,महीने दो महीने बाद जायेगी ,तो क्यों नहीं दीदी को भी साथ अपने घर माँ से मिलाने के बहाने ले चलूँ , वहाँ माँ के कालेज जाने के बाद हम दोनों घर में अकेले रहेंगे और जैसे चाहे मस्ती करेंगे | ये बात मैंने दीदी को बताया तो उनका उदास चेहरा खिल उठा | फिर वो मामी से मेरे साथ जाने की जिद करने लगी की पता नहीं बुआ ( मेरी माँ ) से फिर कब मुलाक़ात होगी | मामी के राजी होने के बाद तीसरे दिन दीदी चलने की तैयारी करने लगी | जाने से पहले वो कमरे में मेरे पास आयी और मेरे से फुसफुसाते हुए बोली –आज मेरा मासिक भी ख़त्म हो गया , मैंने फट से उनका गाल चुमते हुए साडी उठाकर अपना लंड उनके हलकी झांटो भरी बुर में पेलते हुए उनके कान में कहा – दीदी ! चूत चिकनी कर लो , चोदने में मजा आयेगा | वो मेरे लंड पर अपनी बुर ५-७ बार रगड़कर हटा लिया और फिर मेरा लंड उमेठते हुए बोली - हट बदमाश ! यहाँ नहीं वहीँ चिकना करुँगी | बस में मैंने उनसे पुचा -दीदी निरोध ले लूँ तो वो बोली – नहीं रे ! निरोध में मजा नहीं आता है , पुरे तीस दिन की गोलियां आती है , तू गोलियां ही खरीद लाना और एक हेयर रिमूवर भी ले आना |जब हम घर शाम को पहुंचे तो माँ दीदी को देखकर बहुत खुश हो गयी , फिर वो दोनों बात करने लगे और मै बाजार दीदी की चीजे खरीदने चल पड़ा |
बहन कि चुदाई कि थी जिसे पढते पढते मेरा लौड़ा तनकर खडा हो गया फिर दुसरी किताब देखा जिसमे एक माँ बेटे का और दूसरी कहानी एक बहु का अपने ससुर के साथ चुदाई का था | मै सनसनाहट से भरता जा रहा था कि तभी समीर खाना खा कर कमरे में आया ओर मेरे हांथो में किताबे देखकर हँसने लगा | मैंने सकुचाते हुए किताबों को बिस्तर पर रख दिया ओर बोला – यार इसमें तो खुल्लम -खुल्ला लिखा है , मेरा तो खडा हो गया , तुम्हारा खडा होता है तो तुम क्या करते हो ? मुठ मारता हूँ और क्या ? फिर उसने मुझे मुठ मारना बताया और फिर मुझे बी एफ दिखाने ले गया | फिल्म में जैसा उसने बताया था वैसे ही बिलकुल नंगे लड़के लडकियां खुलेआम चुदाई कर रहे थे अंग्रेज लड़की लड़के का लंड चूसती तो लड़का भी अपनी जीभ निकालकर लड़की का बुर चूसता बल्कि एक सीन में तो तीन लड़के एक ही लड़की को पेल रहे थे …एक चूत चोद रहा था , दुसरा गांड मार रहा था और तीसरा अपना लंड चूसा रहा था | मुझे पहली बार एहसास हुआ कि औरतों कि गांड भी मारी जा सकती है ..मेरे मन ने कल्पना में उड़ान भरी कि मै तो इस सुख से अभी तक वंचित हूँ ..आज ही रात को दीदी कि गांड जरुर मारूंगा , मेरा मोटा है तो क्या हुआ मेरे जैसे ही मोटे मोटे लंडो को फिल्म में लड़की बड़ी आसानी से अपने कमसिन गांड में लील रही थी और दीदी कि गांड तो फिर भी चौड़ी है | फिल्म देखते देखते एक घंटे में ही मेरी हालत खराब होने लगी ..मुझे चूत कि तुरंत आवश्यकता महसूस हो रही थी इसलिए मैंने समीर को बुलाकर कहा –यार मै चलता हूँ , घर पर बोलकर नहीं आया हूँ और हाँ मुझे पढ़ने के लिए वो मस्तराम वाली किताबे और पिक्चर वाली बुक दे दो | उससे किताबे लेकर अपने कसमसाते -फुफकारते लंड को प्यार से पुचकारते हुए घर वापस चल पडा |
रात को खाना खाने के बाद माँ जब किचेन में बरतन रखने गयी तभी मैंने हेयर रिमूवर और गोलियां देते हुए दीदी के कान में फुसफुसाया कि तुम रात को मेरे पास आना मै दरवाजा अन्दर से बंद नहीं करूंगा (उनको भैया भाभी वाला कमरा मिला था जो माँ के कमरे के बाईं ओर था ओर मेरा कमरा माँ के कमरे के दाईं तरफ था )| फिर मै बेड पर लेटकर दीदी का इन्तजार करने लगा , इन्तजार करते करते मैंने मस्तराम कि बुक निकालकर फिर से एकबार भाई बहन कि चुदाई कि कहानी पढ़ा और पढ़कर अपने कसमसाते लौड़े को सहलाते हुए शान्त्वना देने लगा कि तू ज्यादा तड़प मत अभी तुझे दीदी कि रसीली चूत और मखमली गांड मारने को मिलेगा | अपने लंड को सहलाते सहलाते पता नहीं मुझे कब नींद आ गयी और जब नींद खुली तो देखा सबेरा हो गया है और माँ आँगन में झाडू लगा रही है और दीदी वही बरामदे में खड़ी है | मुझे उनपर बहुत गुस्सा आया कि वो रात को मेरे पास क्यों नहीं आयी फिर बाथरूम जाकर फ्रेश होकर ‘मोती ’ (हमारा कुत्ता ) को बाहर सैर कराने ले गया | लौटकर मै दीदी से बात करने का मौक़ा ढूंढने लगा पर दीदी थी कि माँ के साथ ही चिपकी चिपकी घूम रही थी , आखिर में नाश्ता करने के बाद दीदी को लंच बनाने को कहने के बाद जब माँ कालेज जाने लगी तो मेरा अंतर्मन खुशी से झूम उठा लेकिन जैसे ही मै बाहर का गेट बंद करके लौटा वैसे ही दीदी झट से बाथरूम में नहाने के लिए घुस गयी | मेरी उत्तेजना बढती जा रही थी साथ ही गुस्सा भी कि आखिर क्यों वो शरारत से मुझे खिंझा रही है | अगर छोटी होती तो शायद डांटता भी पर ये तो बड़ी थी , मुझे रह रहकर कल देखे फिल्म का सीन याद आ रहा था जिसमे एक प्रौढ़ शिक्षक अपने गर्ल स्टुडेंट कि गलती पर उसे बेंत से चूतरों को नंगा करके मारता है फिर प्यार से चूतरों को चुमते चाटते हुए पीछे से ही चूत को चूसना शुरू कर देता है फिर जबरदस्त ढंग से उस लड़की को पेलता है ,सीन याद करके ही मेरा लौड़ा निकर में तम्बू बना हुआ था |आखिर में लगभग एक घंटे बाद जब दीदी बाथरूम से निकली तो उसने अपने शरीर पर केवल टावेल लपेटे हुए थी जिसका उपरी शिरा बूब्स के बीच में कसा था जिसके कारण आधी से अधिक मदमस्त चूंचियाँ बाहर को छलक रही थी और निचला शिरा चूत को बस ढके था | मै लपककर उनके पास पहुंचा और उन्हें अपनी बाहों में भरना चाहा तो उन्होंने हाथ के इशारे से रोक दिया , वो कुछ बडबडा रही थी शायद शिवजी की आरती गा रही थी फिर वो टावेल में ही पूजा घर में चली गयी |
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