बुधवार, 27 जुलाई 2011

madam 7


मैं लम्बे समय तक उस खूबसूरत हुस्न की परी का आनन्द उठाना चाहता था इसलिये सोचा कि उसे कपड़े पहन लेने देता हूँ पर मैनें उससे कहा रानी, तुमने मुझे पूरी तरह से अपना दीवाना बना लिया है, ये देखो। इतना कहते हुये मैनें उसका चेहरा अपने लिंग की तरफ़ किया और अपने एक हाथ की मुट्ठी में उसे लेकर हिलाने लगा। वह मेरे सामने नंगी खड़ी थी और तेज साँसों की वजह से उसके स्तन तेजी से ऊपर नीचे हो रहे थे। उसके निप्पल उत्तेजना के कारण सख्त होकर बाहर की तरफ निकले हुये थे। वह अपने हाथों से अपनी योनि को ठके हुयी थी। मैनें अपने लिंग को हिलाते हुये दूसरे हाथ से उसके स्तनों को दबाते हुये उसके निप्पल पर चिंगोटी काटी और बोला प्लीज़ अपने पति के आने से पहले मेरे इस छोटे राजा की थोड़ी सहायता कीजिये। उसने शर्माते हुये अपना हाथ मेरे लिंग तक लाकर पूरे लिंग पर फ़िराया और फ़िर अचानक तेजी से हिलाने लगी। मैने भी उसके स्तनों को दबाना शुरू कर दिया जबकि उसने मेरे लिंग की सेवा जारी रखी। मैनें तेजी से साँसें लेते हुये बोला ओह ज्योति, मैं वास्तव में किसी दिन तुम्हें ये सुख देकर तुम्हारा ॠण चुकाऊँगा, तुम सचमुच बहुत प्यारी और कामुक हो। यह सुनकर उसने अपनी गति और तेज कर दी और अपने दूसरे हाथ से मेरी गोलियों से खेलने लगी। उसके स्तनों पर से पसीना बह रहा था और उसका पूरा शरीर चमक रहा था। मैं उसी समय उसके साथ संभोग करना चाहता था पर जल्दबाजी न दिखाते इस समय केवल हस्तमैथुन का ही आनन्द उचित समझा। जल्द ही मैं कामोन्माद की चरमसीमा पर पहुँचने वाला था। मैनें उससे जमीन पर लेटने को कहा और अपना लिंग पर अपने हाथ से जोरों से धक्के मारने लगा और स्खलित होते समय अपने वीर्य की धार को इस प्रकार से दिशा दी कि एक एक बूँद उसके स्तनों और पेट पर गिरे। पूरे एक मिनट तक मेरे लिंग से द्रव बाहर आता रहा और फ़िर मैनें उस वीर्य को उसके स्तनों और पेट पर फ़ैला कर मसाज करने लगा। वह आँखें बन्द करके मसाज का आनन्द उठाती रही।
राम लौटते हुये आधे रास्ते में अपनी पत्नी की चोट के बारे में सोच रहा था और इधर उसकी पत्नी मेरे सामने नंगी लेटे हुये मेरी मसाज़ का आनन्द ले रही थी। मैं उठा और फ़र्श पर नंगी लेटी हुयी उस प्यारी घरेलू औरत को निहारता हुआ बोला ज्योति रानी, प्लीज़ अब उठो और कपड़े पहन लो वरना तुम्हारे पति को पता चल जायेगा कि तुमने अपने इस दर्जी के साथ क्या गुल खिलाये हैं। मैं उसके दिमाग में उसके पति के भय को जिन्दा रख कर उसे अधिक सतर्क बनाना चाहता था जिससे कि मैं लम्बे समय तक उसका भोग कर सकूँ। यह सुनकर ज्योति उठी और अपने कपड़े लेकर जाने लगी तभी मैनें उसे पीछे से पकड़ लिया और उसकी योनि और स्तनों की मसाज करने लगा। वह अभी तक गर्म थी और स्खलित नहीं हुयी थी इसलिये फ़िर से मेरी इस मसाज़ का आनन्द लेने लगी। मैनें सोचा यह औरत वाकई में बहुत निडर है और अपने पति के आने की चिन्ता किये बगैर मुझसे संभोग के लिये तैयार है। मैने उससे कहा ज्योति रानी, ऐसा लगता है कि तुम चाहती हो कि मैं अभी तुम्हें चोदूँ और मैं वादा करता हूँ मैं ऐसे चोदूँगा कि तुम याद रखोगी तभी दरवाजे की घंटी बजी और हम दोनों डर गये। वह दौड़ कर अपने कमरे में चली गयी और दरवाज़ा अन्दर से बन्द कर लिया मैने भी जल्दी से कपड़े पहने और जाकर दरवाज़ा खोला। मेरे अनुमान सच निकला, उसका पति राम वापस लौट आया था। मुझे देखकर वह चकित हो गया और इससे पहले कि वह कुछ बोले मैं ही अपनी सफ़ाई में बोल पड़ा मैडम ने मुझे अपने ब्लाउज़ की नाप देखने के लिये बुलाया था और वो अन्दर अपना नया ब्लाउज़ पहन कर देख रहीं हैं। मैने यह तेज आवाज़ में बोला ताकि ज्योति यह सुन ले। वह बाहर आकर बोली मास्टर जी, ब्लाउज़ ठीक है, धन्यवाद। और भोली बनते हुये राम को देखकर बोली ओह, तुम आ गये, मैनें कहा था ना कि मैं ठीक हूँ। मैने भी अनजान बनते हुये उन्हें नमस्ते किया और अपनी दूकान पर आने के लिये वहाँ से चल पड़ा।
अन्दर ही अन्दर वह काँप रही थी परन्तु बाहर से सामान्य दिखाते हुये वह राम के पास गयी और उसे गले लगाकर बोली तुम बहुत अच्छे हो, मेरा कितना ख़्याल रखते हो। मुझे पता था कि मेरे मना करने के बावजूद तुम लौट आओगे मेरे लिये। राम को अभी भी मेरे वहाँ होने और मुख्य द्वार अन्दर से बन्द होने की वजह से थोड़ा शक हो रहा था। बहरहाल अपनी पत्नी पर उसे विश्वास था इसलिये बोला प्रिये, जब तुम घर पर अकेली हो तो इस दर्जी को अन्दर मत आने दिया करो। ज्योति ने नाराज़ होने का नाटक करते हुये कहा तुम्हारा मतलब क्या है राम? वह कितना भला है, मेरा ब्लाउज़ देने के लिये घर पर आया और तुम उसेए पर शक कर रहे हो। राम ने रक्षात्मक होते हुये कहा नहीं प्रिये, मैं तो बस चाहता हूँ कि तुम थोड़ा सतर्क रहा करो बस। राम को सहज होता देख वह बोलीठीक है जानू, आगे से मैं ध्यान रखूँगी। तुम हाथ मुँह धोकर तैयार हो जाओ, मैं तुम्हारे लिये चाय बनाती हूँ। राम बाथरूम गया और ज्योति ने सब कुछ ठीकठाक निपटने के लिये भगवान को धन्यवाद दिया और फ़िर से मेरे साथ लिये आनन्द के बारे में सोचने लगी। वह अभी भी अन्दर गीलेपन का अनुभव कर रही थी और शीघ्र ही कुछ अन्दर डालना चाहती थी। इसलिये उसने सोचा अभी राम के लिंग से ही काम चलाया जाय इससे वह भी खुश हो जायेगा। जैसे ही राम बाथरूम से निकला वह उससे जाकर चिपक गयी और अपने स्तनों और गर्भाशय वाले भाग से उसके शरीर पर दबाव डालते हुये बोली राम, प्लीज़ मुझसे धीरे-धीरे और नरमी से प्यार करो, परसों रात तुम बहुत निर्दयतापूर्वक मुझे भोग रहे थे। उसके नितम्बों को मसलते हुये राम ने पूछा प्रिये, क्या तुम पक्का चाहती हो कि मैं तुम्हारे साथ सम्भोग करूँ क्योंकि कुछ घंटे पहले ही तुम्हें अपनी योनि में काफ़ी पीड़ा हो रही थी। वह बोली हाँ पर अब मैं ठीक हूँऔर पैंट के ऊपर से ही उसके आधे खड़े लिंग को सहलाने लगी। ज्योति अपने स्तनों और योनि से राम के शरीर को रगड़ रही थी और वह उसके नितम्बों को मसल रहा था। मेरे द्वारा थोड़ी ही देर पहले की गयी रति क्रीड़ा की वजह से वह पहले से ही गर्म और गीली थी और राम की मसाज उस पर और रंग ला रही थी। वह राम के लिंग को पकड़ कर बोलीराम मुझे ये अभी चाहिये। यह सुनकर राम उत्तेजित हो गया पर साथ ही वह आश्चर्यचकित था क्योंकि ज्योति पहले सामान्यतया मूक प्रेमी ही थी। उसने उसे अपनी बाहों में उठाया और बिस्तर पर ले गया। फ़िर उसने उसकी साड़ी खींचकर उतार दी, अब ज्योति बिस्तर पर पेटीकोट और ब्लाउज़ में लेटी थी। ब्लाउज़ में उसके स्तनों के उभार बहुत ही सुन्दर दिख रहे थे और साथ ही उसकी क्लीवेज भी दिख रही थी। यह वही ब्लाउज़ था जो मैनें कल उसे सिलकर दिया था।
राम ने ब्लाउज़ के ऊपर से ही उसके स्तनों को दबाना शुरू किया और वह अपनी आँखें बन्द किये पुनः मेरे बारे में सोचने लगी। अब उसने धीरे-धीरे उसके ब्लाउज़ के हुक खोलने शुरू किये और ज्योति को इसका आनन्द उठाते हुये देख बोला ज्योति, तुम इस ब्लाउज़ और पेटीकोट में बहुत ही कामुक लग रही हो। अब उसका ब्लाउज़ पूरा खुला था और उसके भरे पूरे स्तन आज़ाद हो गये थे। राम को यह देखकर हैरानी हुयी कि उसने ब्रा नहीं पहनी थी। दरअसल राम के अचानक आ जाने पर जल्दी जल्दी में उसे ब्रा पहनने का समय ही नहीं मिला था। वह बोलाज्योति, यह पहली बार है जब मैने तुम्हारा ब्लाउज़ खोला और तुमने ब्रा नहीं पहनी हुयी थी। इतना कहकर उसने जोर से उसके स्तनों को दबाया और निप्पलों पर चिंगोटी काटी। उसने इस मीठे दर्द से आह भरी और निडर हो कर बोली प्रिये, जब मैं अन्दर ब्लाउज़ पहन रही थी तो मैं तुम्हारी आवाज सुनकर उत्तेजित हो गयी और तुमसे मिलने की जल्दी में मैने ब्रा पहनना छोड़ दिया। जल्दी ही तुम्हें पता चल जायेगा कि मैनें कुछ और भी नहीं पहना है। अब उसने उसके निप्पलों को चूसना और दबाकर खींचना शुरू कर दिया। ज्योति के अन्तिम वाक्य को सुनकर राम ने अनुमान लगाया कि उसने पैंटी भी नहीं पहनी है और जल्दी से अपना हाथ उसके पेटीकोट के अन्दर ले गया जोकि सीधा उसकी गीली और गर्म योनि पर पड़ा। वह फ़िर बोला प्रिये, मैनें पहले तुम्हें इतनी जल्दी कभी गीला होते नहीं देखाऔर इतना कहकर उसने अपनी उंगली बलपूर्वक उसकी रसभरी योनि में डाल दी। उसे पता था कि उसका पति अपने शक की ओर इशारा कर रहा है पर इस समय वह मेरे ख़्यालों में कामोत्तेजना से ग्रसित थी इसलिये उसने अपने पति द्वारा स्तनमर्दन और हस्तमैथुन का आनन्द उठाते हुये बोला प्रिये, दिन पर दिन तुम अपने काम में पारंगत होते जा रहे हो मैं भी और अधिक कामोत्तेजक हो रही हूँ। राम को अपनी शर्मीले स्वभाव की ज्योति में निश्चय ही परिवर्तन दिखाई दे रहा था पर उसकी इन कामुक बातों से वह उत्तेजित भी हो रहा था। उसे अपनी पत्नी से सीधे शब्दों में बोलने से डर लग रहा था पर उसे पता था कि इस सबका उस दर्जी से (यानि कि मुझसे) कुछ सम्बन्ध है। अपनी पत्नी की बेवफ़ाई की बातें मन में आने की वजह से उसने बुरी तरह से ज्योति को मसलना शुरू कर दिया और उसके निप्पल को काटा। वह दर्द से चिल्लाई और बोली ओह राम, इतनी ज़ोर से मत काटो, दुःखता है। इतना कहकर वह राम के पैंट की चेन खोलने लगी। राम ने भी कपड़े उतारने में उसकी मदद की। उसका पूरी तरह तना हुआ लिंग एक फ़नफ़नाते हुये साँप की भाँति उसकी रसीली योनि में प्रवेश करने को बेताब था।

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